आगा जवाद नक़वी की तौहीन क्यूं ? पिछले जुमा आगा जवाद नक़वी साहब ने खुतबा देते हुए कुछ जुमले अर्ज़ किए हैं जिन पर कुछ हज़रात को एतराज़ है कि इन्होंने मजलिस को गैर शरई करार दिया है। बताते चलें कि इस खिताब को करते हुए आप ने फरमाया था, _"यूं नहीं कि नमाज जुमा और नमाज तरावीह बराबर है नमाज़ जुमा का तरावीह से कोई बराबरी नहीं है हो सकता है। नमाज ए तरावीह इसी तरह है जिस तरह शिया मजालिस बपा करतें हैं और बानियान ए मजलिस आम दिनों में दिनों में मजलिस तर्क करने को कहते है, जिस तरह आम दिनों ने मजालिस पर पाबंदी लगाई जाती है या इलाक़े वाले आकर कहते है कि मजलिस ना करो, तो फ़िर इसरार करना भी ऐसा ही है, जैसे तरावीह पर इसरार करना हो, क्यूंकि अगर मजलिस बंद होंगी तो एक तबके को नुक्सान होगा और अगर तरावीह बंद होगी तो दूसरे तबके कि नुकसान होगा!"_ (इसके बाद ये खुतबा पूरा एक घंटा से ज़्यादा चलता है जिसे शायद की किसी है सुना हो!) गौरो फ़िक्र करने के साथ साथ तास्सुब की ऐनक भी उतारें, क्यूंकि इस मुद्दे में तास्सुब दिख रहा है । बहरहाल क्योंकि जब तक आपके ज़हन में फितूर रहेगा तो आप हक़ को समझ नहीं...
MALWANI CHEHLUM JAMAT WELFARE SOCIETY is established in 1980. The purpose of committee is to oraganized Majis and procession in the remembrance of martyr Hazrat Imam Hussain (A.S).